Summer Vacation Extension: उत्तर प्रदेश में इस समय भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है और गर्म हवाओं (लू) का असर भी बच्चों और बड़ों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों को 16 जून से पुनः खोलने के निर्णय पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इस फैसले के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्कूल की छुट्टियां आगे बढ़ाने की मांग की है।
भीषण गर्मी में बच्चों का स्कूल जाना खतरनाक
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लगातार बढ़ते तापमान के कारण गर्मी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे मौसम में छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल बुलाना उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन, लू लगना, सिरदर्द, चक्कर आना और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। खासकर प्राथमिक विद्यालयों में छोटे बच्चों के लिए ये स्थितियां और भी खतरनाक हो सकती हैं क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों के मुकाबले कम होती है।
स्कूल खुलने की तारीख 16 जून से निर्धारित
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों को 16 जून 2025 से दोबारा खोलने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद से शिक्षकों और अभिभावकों में चिंता का माहौल बन गया है। लगातार जारी हीटवेव के चलते कई अभिभावकों ने भी इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया है और स्कूलों को जुलाई तक बंद रखने की अपील की है।
शिक्षक संगठनों ने उठाई आवाज
प्रदेश के कई प्रमुख शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर सरकार से गुहार लगाई है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विनय तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने स्कूलों की छुट्टियों को जुलाई तक बढ़ाने के साथ-साथ शिक्षकों की पदोन्नति और चयन वेतनमान जैसी लंबित मांगों को भी रखा।
बीटीसी शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों की छुट्टियां आगे बढ़ाने की मांग की है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि इस प्रचंड गर्मी के दौर में बच्चों को स्कूल बुलाना उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। लगातार चल रही हीटवेव बच्चों के लिए खतरे की घंटी है।
अन्य शिक्षक संगठनों की भी मांग
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी और प्रदेश सचिव दिलीप चौहान ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर परिषदीय विद्यालयों को 30 जून तक बंद रखने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक गर्मी का प्रकोप कम नहीं होता, तब तक स्कूल खोलना बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चिंता
राज्य के कई क्षेत्रों में तापमान लगातार 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। ऊपर से गर्म हवाओं ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अधिकतर स्कूलों में एयर कंडीशनर या कूलिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बच्चों का कक्षा में बैठना मुश्किल हो सकता है। कई विद्यालयों में तो पंखों की भी उचित सुविधा नहीं है, जिससे बच्चों को गर्मी में लंबे समय तक पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है।
शिक्षकों ने पदोन्नति और तबादले की भी उठाई मांग
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार और बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी से भी मुलाकात की। उन्होंने भी भीषण गर्मी को देखते हुए स्कूलों को 16 जून के बजाय आगे खोलने की मांग रखी। इसके साथ ही शिक्षकों की पदोन्नति और विभिन्न जिलों में लंबित तबादलों के मुद्दे को भी उठाया।
सरकार के सामने दोहरी चुनौती
वर्तमान स्थिति में सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता बनाए रखना है, तो दूसरी तरफ उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी है। शिक्षक संगठनों का मानना है कि यदि स्कूलों की छुट्टियों को 30 जून तक बढ़ा दिया जाए तो बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है। साथ ही शिक्षकों का यह भी कहना है कि शिक्षा का नुकसान कुछ हद तक बाद में पूरा किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता।
अब सभी की नजर सरकार के फैसले पर
अब पूरे प्रदेश की निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार के अगले निर्णय पर टिकी हैं। अभिभावक, शिक्षक और छात्र सभी यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या सरकार इस अपील पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी और स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाएगी या फिर पूर्व निर्धारित तिथि यानी 16 जून से ही विद्यालय खुलेंगे।
निष्कर्ष
इस समय भीषण गर्मी ने पूरे उत्तर भारत को अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सरकार को शिक्षकों और अभिभावकों की इस मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बच्चों का स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है और किसी भी प्रकार का जोखिम भविष्य में बड़ी समस्या बन सकता है। सभी आशा कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही बच्चों के हित में उचित और सकारात्मक निर्णय लेगी।