Teacher Verification Update: देशभर में नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) शिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। शिक्षा विभाग ने एनटीटी डिप्लोमा की वैधता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब नौकरी लगने के बाद भी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी। यदि किसी शिक्षक के पास फर्जी डिप्लोमा पाया गया, तो उसे नौकरी से हटाया जा सकता है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब विभाग को कई जिलों से फर्जी डिप्लोमा के जरिए नौकरी पाने की शिकायतें मिल रही थीं।
📌 क्यों उठाया गया यह कदम?
हाल ही में स्कूल शिक्षा निदेशालय को कुछ इनपुट प्राप्त हुए, जिसमें बताया गया कि कुछ एनटीटी शिक्षकों ने फर्जी डिग्री या प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी हासिल की है। इस सूचना के आधार पर निदेशालय ने गंभीरता दिखाते हुए प्रदेशभर में सभी जिलों को पत्र भेजकर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है।
🕵️♀️ दस्तावेजों की होगी गहन जांच
अब किसी भी शिक्षक को स्कूल में जॉइनिंग से पहले ही उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की पूर्ण जांच की जाएगी। खासतौर से देखा जाएगा कि एनटीटी डिप्लोमा एनसीटीई (NCTE – National Council for Teacher Education) से मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त किया गया है या नहीं। इसके साथ ही डिप्लोमा की अवधि दो वर्ष होना अनिवार्य होगी।
🧾 एनसीटीई की गाइडलाइंस होंगी मान्य
शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि एनटीटी शिक्षकों की भर्ती में केवल एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त दो वर्षीय डिप्लोमा ही मान्य होगा। अगर किसी अभ्यर्थी ने किसी निजी या गैर-मान्यता प्राप्त संस्था से डिप्लोमा किया है, तो उसकी डिग्री अमान्य मानी जाएगी और उसे नियुक्ति नहीं दी जाएगी।
👥 जिला स्तर पर जांच कमेटी का गठन
प्रदेश के हर जिले में उप शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच करेगी और तय करेगी कि दिए गए प्रमाण पत्र वैध हैं या नहीं। इस समिति में अनुभवी अधिकारी शामिल होंगे, जो दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि करेंगे।
⚠️ कंपनियों के लिए भी चेतावनी
एनटीटी भर्ती प्रक्रिया में अक्सर निजी एजेंसियों और कंपनियों की मदद ली जाती है। निदेशालय ने चेतावनी दी है कि यदि कोई कंपनी फर्जी दस्तावेज के आधार पर भर्ती करती है, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। साथ ही, उस कंपनी के खिलाफ सरकारी कार्रवाई भी की जाएगी।
🗓️ इंटरव्यू प्रक्रिया में भी बढ़ी सतर्कता
इस समय हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में एनटीटी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। शिमला जिले के ठियोग के बगैण स्कूल में 15 जून को इंटरव्यू आयोजित किए गए हैं। इन इंटरव्यू में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों के दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है ताकि किसी भी फर्जीवाड़े को समय रहते रोका जा सके।
🧑🏫 नौकरी के बाद भी हटाए जा सकते हैं शिक्षक
यह पहली बार है जब शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी शिक्षक के दस्तावेजों की वैधता बाद में गलत पाई जाती है, तो उसकी नौकरी भी जा सकती है। शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने सख्त लहजे में कहा है कि फर्जीवाड़ा किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
🔍 भविष्य की भर्तियों पर पड़ेगा प्रभाव
शिक्षा विभाग की यह सख्ती भविष्य की भर्तियों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल फर्जी डिप्लोमा वालों पर लगाम लगेगी, बल्कि योग्य और असली प्रमाण पत्र रखने वाले अभ्यर्थियों को ही नौकरी के अवसर मिलेंगे।
✍️ निष्कर्ष
एनटीटी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की यह नई व्यवस्था शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता लाने की दिशा में अहम पहल है। इससे न केवल फर्जी डिग्री रखने वाले अभ्यर्थियों पर रोक लगेगी, बल्कि भविष्य में होने वाली सभी शैक्षणिक भर्तियों में विश्वास भी कायम होगा। यदि आप भी एनटीटी शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आपका डिप्लोमा एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से और पूर्ण अवधि वाला हो। अन्यथा, नौकरी मिलने के बाद भी उसे खोने का खतरा बना रहेगा।