RBI New CIBIL Score Rule: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव देश के करोड़ों बैंक ग्राहकों के लिए काफी अहम है। नए नियम के अनुसार अब सिबिल स्कोर हर 15 दिन में अपडेट होगा। पहले यह प्रक्रिया महीने में केवल एक बार होती थी। इस बदलाव से क्रेडिट स्कोर अधिक सटीक, ताजा और भरोसेमंद हो जाएगा।
आइए जानते हैं इस बदलाव से आपको क्या फायदे होंगे, बैंकों को कैसे लाभ मिलेगा और पूरी व्यवस्था कैसे अधिक पारदर्शी और सटीक होगी।
नया नियम कब से लागू हुआ?
भारतीय रिज़र्व बैंक का यह नया नियम 1 जनवरी 2025 से प्रभाव में आ चुका है। अब देश के सभी बैंक और वित्तीय संस्थान हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो (जैसे कि सिबिल, एक्सपेरियन आदि) को ग्राहक का लेन-देन डेटा अनिवार्य रूप से अपडेट करेंगे।
पहले यह रिपोर्टिंग महीने में एक बार होती थी, जिससे क्रेडिट स्कोर के अपडेट में काफी समय लग जाता था। कई बार यह समय 30 से 40 दिन तक बढ़ जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
बदलाव का उद्देश्य
RBI का मुख्य उद्देश्य क्रेडिट स्कोर की गणना को अधिक ताजा और सटीक बनाना है। जब ग्राहक समय पर ईएमआई या क्रेडिट कार्ड का भुगतान करता है, तो उसका सकारात्मक असर अब जल्दी दिखाई देगा।
यह बदलाव बैंकों के लिए भी फायदेमंद होगा, क्योंकि वे लोन देने से पहले ग्राहक की सबसे नई और सटीक क्रेडिट रिपोर्ट देख पाएंगे।
पुराने नियमों की दिक्कतें
पहले महीने में एक बार डेटा अपडेट होता था। यदि आपने महीने की शुरुआत में भुगतान किया, तो वह अगले महीने ही अपडेट होता था। कई बार डेटा पहुंचने और प्रोसेसिंग में 40 दिन तक लग जाते थे।
इस कारण से:
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क्रेडिट स्कोर में देरी से सुधार दिखता था।
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अच्छा भुगतान इतिहास होते हुए भी ग्राहकों को लोन स्वीकृति में परेशानी होती थी।
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बैंकों के पास लोन देते समय पुराना डेटा होता था।
नए नियम से क्या बदलेगा?
अब हर 15 दिन में डेटा अपडेट होगा, जिससे:
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ग्राहक का लेन-देन जल्दी अपडेट होगा।
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क्रेडिट स्कोर तेजी से सुधरेगा।
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बैंकों को ताजा जानकारी मिलेगी।
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पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी।
इससे लोन लेने वालों के लिए भी यह बड़ा फायदा साबित होगा क्योंकि उनके बेहतर क्रेडिट व्यवहार का असर जल्दी दिखेगा।
ग्राहकों को होगा सीधा फायदा
इस नए नियम से सबसे ज्यादा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जो:
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समय पर ईएमआई चुकाते हैं।
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क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर भरते हैं।
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अपने क्रेडिट स्कोर को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
अब इन्हें अपने बेहतर भुगतान व्यवहार का फायदा केवल 15 दिन के अंदर दिखने लगेगा। इसका मतलब है कि लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते समय उन्हें बेहतर स्कोर मिलेगा, जिससे लोन स्वीकृति और ब्याज दर दोनों में फायदा होगा।
बैंक और वित्तीय संस्थानों को क्या लाभ?
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बैंकों को लोन स्वीकृति से पहले सबसे ताजा जानकारी मिलेगी।
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जोखिम का आकलन अधिक सटीक होगा।
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खराब ऋण (NPA) की संभावना कम होगी।
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बैंकों को अनुशासित ग्राहकों की जल्दी पहचान हो सकेगी।
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आकर्षक लोन और क्रेडिट कार्ड ऑफर बेहतर ग्राहकों को दिए जा सकेंगे।
इससे बैंकिंग सिस्टम में स्थिरता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
क्रेडिट स्कोर सुधारना होगा अब आसान
नए नियम के तहत अगर आपने हाल ही में अपने कर्जों का समय पर भुगतान शुरू किया है तो आपको महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब हर 15 दिन में आपके क्रेडिट स्कोर में सुधार दिखने लगेगा।
इससे उन लोगों के लिए भी यह वरदान साबित होगा जो अभी तक खराब क्रेडिट स्कोर के कारण लोन नहीं ले पा रहे थे। वे जल्दी अपने स्कोर को सुधारकर फिर से लोन और क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे।
डेटा की गुणवत्ता में सुधार
बार-बार डेटा अपडेट होने से:
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गलतियों की संभावना कम होगी।
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यदि कोई त्रुटि होती भी है तो ग्राहक जल्दी उसे पकड़ पाएंगे।
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क्रेडिट रिपोर्ट अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेंगी।
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बैंक और क्रेडिट ब्यूरो के बीच बेहतर समन्वय बनेगा।
यह पूरी व्यवस्था डिजिटल इंडिया की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
वित्तीय अनुशासन को मिलेगा बढ़ावा
इस व्यवस्था से ग्राहकों में वित्तीय अनुशासन बढ़ेगा।
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समय पर भुगतान करने की आदत बढ़ेगी।
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लोग अपने क्रेडिट स्कोर की जिम्मेदारी को गंभीरता से लेंगे।
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युवा वर्ग में वित्तीय साक्षरता बढ़ेगी।
जब ग्राहकों को जल्दी फायदा दिखेगा, तो वे खुद ही समय पर भुगतान के लिए प्रेरित होंगे।
यह बदलाव क्यों है बेहद जरूरी?
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भारत में तेजी से बढ़ती क्रेडिट व्यवस्था के लिए यह बदलाव अहम है।
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डिजिटल लेंडिंग के दौर में ताजा डेटा बेहद जरूरी है।
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यह वित्तीय सिस्टम में भरोसा बढ़ाता है।
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ग्राहक, बैंक और देश तीनों के लिए फायदेमंद है।
निष्कर्ष
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लागू किया गया यह नया नियम भारतीय बैंकिंग और क्रेडिट सिस्टम में पारदर्शिता और सटीकता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। ग्राहकों को जहां तेजी से क्रेडिट स्कोर सुधारने का अवसर मिलेगा, वहीं बैंकों को भी जोखिम का बेहतर आकलन करने में सहायता मिलेगी।