NEET Exam 2025: हर साल लाखों विद्यार्थी डॉक्टर बनने का सपना लेकर NEET (UG) परीक्षा में बैठते हैं। 2025 में भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने इस परीक्षा को पास किया है। लेकिन क्या केवल NEET पास कर लेना ही MBBS या अन्य मेडिकल कोर्स में एडमिशन की गारंटी है? जवाब है — नहीं।
NEET पास करना सिर्फ पहला कदम होता है, असली दौड़ तो इसके बाद शुरू होती है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) और मेडिकल काउंसिलिंग अथॉरिटीज ने इस संबंध में कुछ बेहद जरूरी नियम तय किए हैं, जिन्हें हर अभ्यर्थी को जानना चाहिए। आइए विस्तार से समझते हैं कि NEET पास करने के बाद भी कौन-कौन सी शर्तें पूरी करनी होती हैं।
केवल परीक्षा पास करना पर्याप्त नहीं
कई स्टूडेंट्स और अभिभावकों को लगता है कि NEET (UG) में पास होने के बाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलना पक्का हो जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। परीक्षा पास करना केवल पात्रता की पहली सीढ़ी है।
इसके बाद काउंसलिंग प्रक्रिया, डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन और कई अन्य मानदंडों से गुजरना पड़ता है। किसी भी मेडिकल, डेंटल, आयुष, होम्योपैथी, यूनानी या अन्य संबंधित कोर्स में एडमिशन मिलने के लिए निम्नलिखित बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं।
NEET पास करने के बाद पूरी करनी होंगी ये शर्तें
1. शैक्षणिक योग्यता
-
12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में कम से कम 50% अंक होना अनिवार्य है (आरक्षित वर्ग के लिए छूट लागू है)।
-
अंग्रेजी विषय में भी पास होना जरूरी है।
2. मेरिट लिस्ट में स्थान
-
NEET के स्कोर के आधार पर ऑल इंडिया रैंक (AIR) तैयार की जाती है।
-
सीट अलॉटमेंट मेरिट रैंक और काउंसलिंग विकल्पों पर निर्भर करता है।
3. मेडिकल फिटनेस
-
छात्र का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।
-
कुछ मेडिकल संस्थान मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट भी मांगते हैं।
4. केंद्र और राज्य सरकार की अन्य शर्तें
-
विभिन्न राज्यों के अपने आरक्षण नियम, डोमिसाइल प्रमाण पत्र और अन्य स्थानीय नियम होते हैं।
-
यूनिवर्सिटी अथवा संस्थान द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पात्रता मानदंड भी लागू हो सकते हैं।
आवेदन में गलत जानकारी देने पर कड़ी कार्रवाई
NTA ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी अभ्यर्थी ने आवेदन करते समय किसी भी प्रकार की गलत, अधूरी या झूठी जानकारी दी तो:
-
उसका फॉर्म तुरंत रद्द कर दिया जाएगा।
-
भविष्य में NTA द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
-
आवश्यकतानुसार कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है।
इसलिए आवेदन करते समय सभी जानकारी सत्य और प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर ही भरें।
पात्रता अस्थायी मानी जाती है
NEET क्वालिफाई करने के बाद भी किसी भी छात्र की पात्रता तब तक अस्थायी मानी जाती है जब तक वह सभी संबंधित संस्थानों और विभागों द्वारा निर्धारित नियमों को पूरा नहीं कर लेता। इन संस्थानों में शामिल हैं:
-
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC)
-
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI)
-
नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM)
-
आयुष मंत्रालय
-
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
यदि किसी नियम अथवा पात्रता को लेकर कोई विवाद या भ्रम की स्थिति बनती है, तो अंतिम निर्णय संबंधित संस्थान अथवा मंत्रालय का ही मान्य होगा।
परीक्षा में भाग लेने भर से नहीं मिलता अधिकार
NEET में शामिल होना, परीक्षा पास करना और रैंक लाना — इन सबके बाद भी अंतिम अधिकार एडमिशन कमेटी और सरकार के पास ही होता है। अगर किसी स्टूडेंट ने नियमों के अनुसार सभी शर्तें पूरी नहीं कीं तो वह मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने का अधिकार नहीं रखता।
यह बात हर छात्र और अभिभावक को समझनी चाहिए कि केवल NEET में पास होने से सीट पक्की नहीं होती।
दस्तावेज सत्यापन बेहद जरूरी
काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान सभी अभ्यर्थियों को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं:
-
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट व सर्टिफिकेट
-
NEET एडमिट कार्ड और स्कोर कार्ड
-
जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
-
डोमिसाइल सर्टिफिकेट
-
मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट
-
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
-
अन्य आवश्यक प्रमाण पत्र
यदि इन दस्तावेजों में कोई भी कमी पाई जाती है तो एडमिशन रद्द किया जा सकता है।
कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान
NTA ने यह भी कहा है कि अगर किसी अभ्यर्थी द्वारा जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया गया या फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए तो उसके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे छात्रों को यह सख्त संदेश दिया गया है कि पारदर्शिता से ही उनका करियर सुरक्षित रहेगा।
निष्कर्ष
NEET पास करना केवल पहला कदम है। असली चुनौतियां इसके बाद शुरू होती हैं। काउंसलिंग, डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन, शैक्षणिक योग्यता, मेडिकल फिटनेस जैसे कई और मानदंड पूरे करने होते हैं।
हर अभ्यर्थी को ईमानदारी से फॉर्म भरना, सही दस्तावेज तैयार रखना और पूरी प्रक्रिया की जानकारी रखना बेहद जरूरी है। यदि सभी नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए, तो मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाना संभव है। लेकिन किसी भी प्रकार की लापरवाही भविष्य को संकट में डाल सकती है।