Sainik School Admission 2025: भारत में जब भी अनुशासन, देशभक्ति और चरित्र निर्माण की बात होती है, तो सैनिक स्कूल का नाम सबसे पहले लिया जाता है। ये स्कूल न केवल पढ़ाई में उत्कृष्टता लाते हैं, बल्कि छात्रों को भविष्य का जिम्मेदार नागरिक और सेना का योग्य अधिकारी बनाने में भी मदद करते हैं। यदि आपका बच्चा भी अनुशासनप्रिय है और सेना में करियर बनाने का सपना देखता है, तो सैनिक स्कूल उसके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सैनिक स्कूल में किन बच्चों का एडमिशन होता है, फीस कितनी होती है, हॉस्टल और अनुशासन कैसा रहता है, और किस प्रकार की प्रवेश परीक्षा होती है।
सैनिक स्कूल क्या है?
सैनिक स्कूल (Sainik School) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन संचालित विशेष आवासीय स्कूल हैं। इनकी स्थापना का उद्देश्य देश को भविष्य के लिए सेना के योग्य, अनुशासित और शिक्षित अधिकारी देना है। यहां बच्चों को न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाया जाता है।
सैनिक स्कूल में कौन बच्चे ले सकते हैं एडमिशन?
सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए कोई भी भारतीय छात्र आवेदन कर सकता है, बशर्ते वह निर्धारित आयु सीमा और पात्रता को पूरा करता हो।
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कक्षा 6 में प्रवेश: उम्मीदवार की उम्र 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2016 के बीच होनी चाहिए (लगभग 10–12 वर्ष)
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कक्षा 9 में प्रवेश: उम्र 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2013 के बीच होनी चाहिए (लगभग 13–15 वर्ष)
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लड़के और लड़कियां दोनों अब सैनिक स्कूल में प्रवेश ले सकते हैं। पहले सिर्फ लड़कों को ही दाखिला मिलता था, लेकिन अब अधिकतर स्कूलों में लड़कियों के लिए भी सीटें आरक्षित की जा रही हैं।
प्रवेश प्रक्रिया – AISSEE परीक्षा
सैनिक स्कूलों में प्रवेश AISSSEE (All India Sainik Schools Entrance Exam) के माध्यम से होता है। यह परीक्षा हर साल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है।
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परीक्षा में कक्षा 6 और 9 के लिए अलग-अलग प्रश्नपत्र होते हैं।
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इसमें गणित, सामान्य ज्ञान, अंग्रेज़ी और बुद्धिमत्ता परीक्षण (Intelligence Test) जैसे विषय पूछे जाते हैं।
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परीक्षा के बाद मेडिकल टेस्ट और दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया भी होती है।
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प्रतियोगिता बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि सीटें सीमित होती हैं।
सैनिक स्कूल की फीस कितनी होती है?
सैनिक स्कूलों में पढ़ाई, हॉस्टल, खाना, यूनिफॉर्म, किताबें और दूसरी सुविधाओं का खर्च शामिल होता है। औसतन एक साल की फीस ₹1.5 लाख (डेढ़ लाख रुपये) तक होती है।
हालांकि, यह राशि स्कूल-टू-स्कूल अलग हो सकती है और इसमें:
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ट्यूशन फीस
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हॉस्टल चार्ज
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मेस चार्ज
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यूनिफॉर्म
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किताबें
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मेडिकल सुविधाएं आदि शामिल होती हैं।
छात्रवृत्ति (Scholarship) की सुविधा
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), SC/ST वर्गों और सेना या अर्धसैनिक बलों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति उपलब्ध होती है। यह स्कॉलरशिप राज्य सरकार या केंद्र सरकार के सहयोग से दी जाती है।
छात्रवृत्ति मिलने पर:
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फीस का एक बड़ा हिस्सा माफ हो सकता है।
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कुछ छात्रों के लिए पूरी पढ़ाई बिल्कुल मुफ्त या बहुत कम फीस में हो जाती है।
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राज्यवार योजनाएं अलग होती हैं, जिनकी जानकारी संबंधित राज्य की वेबसाइट से मिल सकती है।
हॉस्टल और अनुशासन – सैनिक स्कूल की खासियत
सैनिक स्कूल पूर्णतः आवासीय बोर्डिंग स्कूल होते हैं। छात्र पूरे साल हॉस्टल में रहते हैं और एक सैन्य अनुशासन के तहत दिनचर्या अपनाते हैं:
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सुबह की पी.टी.
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समय पर भोजन
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अध्ययन की निश्चित अवधि
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खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियां
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रात की तैयारी क्लास
यह अनुशासित जीवन छात्र में नेतृत्व क्षमता, टीम वर्क, और समर्पण की भावना को मजबूत करता है।
सैनिक स्कूल क्यों चुनें?
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एनडीए और रक्षा क्षेत्र की तैयारी: सैनिक स्कूल छात्रों को NDA, INA, और अन्य डिफेंस परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं।
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शारीरिक और मानसिक विकास: यहां खेल, NCC, और अन्य गतिविधियों के जरिए बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।
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अनुशासन और नेतृत्व: बच्चे बचपन से ही अनुशासन में रहना सीखते हैं और उनमें लीडरशिप क्वालिटी विकसित होती है।
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देशभक्ति की भावना: सैनिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में देश के प्रति सेवा और समर्पण की भावना बचपन से ही विकसित होती है।
निष्कर्ष
यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा एक अच्छा नागरिक, अनुशासित और आत्मनिर्भर बने, तो सैनिक स्कूल एक आदर्श विकल्प है। यहां न केवल शिक्षा मिलती है, बल्कि बच्चों को एक जिम्मेदार और देशभक्त व्यक्ति बनाया जाता है। यदि आपका बच्चा सेना में करियर बनाना चाहता है, तो आज ही AISSEE परीक्षा की तैयारी शुरू करें।
सैनिक स्कूल में एडमिशन, न सिर्फ एक स्कूल में प्रवेश है, बल्कि एक अनुशासित और गौरवशाली भविष्य की ओर कदम है।