सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब माता-पिता की सेवा नहीं की तो छिन सकता है संपत्ति में हिस्सा SC Decision On Property Rights

By Shruti Singh

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SC Decision On Property Rights

SC Decision On Property Rights: अगर आप ये सोचते हैं कि माता-पिता की जमीन-जायदाद एक दिन अपने आप आपकी हो जाएगी, तो अब आपको सावधान हो जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जो बच्चों के लिए सीधी चेतावनी है – अगर आप अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते, तो संपत्ति पर आपका कोई हक नहीं रहेगा।

यह फैसला उन लाखों बुजुर्ग माता-पिता के लिए राहत की खबर है, जो अपने बच्चों पर भरोसा कर उन्हें संपत्ति दे देते हैं, लेकिन बाद में उन्हीं बच्चों से उपेक्षा और दुर्व्यवहार झेलते हैं। आइए इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।


क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में साफ कहा है कि अगर कोई बेटा या बेटी अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करता, तो वह संपत्ति का हकदार नहीं रहेगा। अगर संपत्ति पहले ही ट्रांसफर हो चुकी है और बच्चों द्वारा माता-पिता की अनदेखी की जाती है, तो माता-पिता कोर्ट के माध्यम से वह संपत्ति वापस ले सकते हैं।

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यह फैसला भारत में तेजी से बढ़ती उस सामाजिक समस्या पर चोट करता है, जिसमें बुजुर्गों को उनकी अपनी संतानें नज़रअंदाज़ करती हैं।


क्या है पूरा मामला?

आजकल समाज में यह आम बात हो गई है कि माता-पिता अपने बच्चों के नाम संपत्ति ट्रांसफर कर देते हैं – कभी प्रेमवश, तो कभी दबाव में आकर। लेकिन जैसे ही संपत्ति बच्चों के नाम होती है, कई बार वही बच्चे अपने माता-पिता से मुंह मोड़ लेते हैं। न उनका इलाज कराते हैं, न उनके खाने-पीने की चिंता करते हैं और न ही भावनात्मक रूप से साथ देते हैं।

इन्हीं घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ संदेश दिया है कि संपत्ति के साथ जिम्मेदारी भी आती है। यदि आप वह जिम्मेदारी नहीं निभाते, तो संपत्ति पर आपका दावा भी खत्म हो जाएगा।

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कानून क्या कहता है?

इस फैसले का आधार बना है “वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007”। इस कानून के तहत:

अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह कानून और ज्यादा मजबूत हो गया है।


अब संपत्ति ट्रांसफर होगी शर्तों के साथ

इस फैसले का एक बड़ा असर यह होगा कि अब माता-पिता जब भी संपत्ति अपने बच्चों को देंगे, तो वे एक शर्त के साथ ट्रांसफर करेंगे। यह शर्त होगी – देखभाल की।

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इस शर्त में शामिल होगा:

अगर बच्चा इनमें से कोई भी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहता है, तो माता-पिता संपत्ति को वापस लेने का अधिकार रखेंगे।

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समाज पर असर

यह फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी क्रांतिकारी है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बुजुर्गों को अकसर बोझ समझा जाने लगा है। यह फैसला उस सोच को तोड़ता है।

अब बच्चों को समझना होगा कि:


बुजुर्गों के लिए राहत की बात

अगर आप एक बुजुर्ग माता या पिता हैं और आपको लगता है कि आपकी संतान आपकी अनदेखी कर रही है, तो अब आप चुप न बैठें। आप अपने नजदीकी अनुभव ट्रिब्यूनल में जाकर केस दाखिल कर सकते हैं।

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इसके लिए आपको बड़े वकील की जरूरत नहीं, बल्कि थोड़ी सी जानकारी और हिम्मत चाहिए। कोर्ट आपकी बात सुनेगा और अगर आपकी शिकायत सही पाई जाती है, तो आपको वापस आपकी संपत्ति मिल सकती है।


इस फैसले से क्या सीख मिलती है?

यह फैसला हमें कुछ अहम बातें सिखाता है:


निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला समाज में एक नई चेतना जगाएगा। अब संपत्ति कोई मुफ्त में मिलने वाली चीज नहीं रह गई है, बल्कि इसके साथ एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी जुड़ गई है।

माता-पिता को अब यह समझना होगा कि उन्हें अपनी संपत्ति ट्रांसफर करने से पहले साफ शर्तें और समझौते करने चाहिए। और बच्चों को यह याद रखना चाहिए कि अगर उन्होंने अपने फर्ज नहीं निभाए, तो वे संपत्ति के साथ-साथ रिश्तों से भी हाथ धो बैठेंगे।

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Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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